From Dwapar To Kalyug

Epic 11:38 PM
"सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आयंगे...छोडो मेहँदी खड्ग संभालो, खुद ही अपना चीर बचा लोद्यूत बिछाये बैठे शकुनि,मस्तक सब बिक जायेंगेसुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे...कब तक आस लगाओगी तुम,  बिक़े हुए अखबारों से,कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों सेस्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैंवे क्या लाज बचायेंगेसुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयेंगे...कल तक केवल...

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