I look for you in places where u can't be | #DilHiToHai
1:30 AM
मैं ढूँढती हूँ तुझे उन जगहो पर जहाँ तू हो नही सकता. (I look for you in places where u can't be)
दिल ही तो है, क्या समझाना इसको, ज़िद करता है, करने दो, खुद-ब-खुद समझ जाएगा.
खुद की मनमानियाँ कभी पूरी हुई हैं भला, ये मनमानियाँ तो खुदा की होती हैं, होने दो.
दिल ही तो है, क्या समझाना इसको, ज़िद करता है, करने दो, खुद-ब-खुद समझ जाएगा.
पुरानी किताब से सरक कर गिरा पैरो में ख़त उसका. सोचा फैंक दू,
पर पढ़ के मेजपोश के नीचे रख दिया फिर कभी ना पढ़ने को.
दिल ही तो है, क्या समझाना इसको, ज़िद करता है, करने दो, खुद-ब-खुद समझ जाएगा.
गुमे बंद लिफाफे सी ज़िंदगी, कभी तो पहुँचती के जहाँ का पता था लिखा, अब कौन उसे समझाता कि वो पता ही बदल गया.
दिल ही तो है, क्या समझाना इसको, ज़िद करता है, करने दो, खुद-ब-खुद समझ जाएगा.
बादल का छोटा टुकड़ा जो देखा आसमान मे उड़ता हुआ, सारी रात जगा बरसात देखने को.
दिल ही तो है, क्या समझाना इसको, ज़िद करता है, करने दो, खुद-ब-खुद समझ जाएगा.
अच्छा हुआ आँख फडकी, तूफान के आने का अंदेशा पहले ही हुआ. एक आख़िरी बार दिल संभाला, जो फिर चूर हो के बिखर गया.
दिल ही तो है, क्या समझाना इसको, ज़िद करता है, करने दो, खुद-ब-खुद समझ जाएगा.
उसकी परेशानियो का इलाज तो हकीम लुक़मान के पास भी नही, तू नाहक इस दिल को दोष देता रहा.
दिल ही तो है, क्या समझाना इसको, ज़िद करता है, करने दो, खुद-ब-खुद समझ जाएगा.
(Photo credits: Own painting)
दिल ही तो है, क्या समझाना इसको, ज़िद करता है, करने दो, खुद-ब-खुद समझ जाएगा.
खुद की मनमानियाँ कभी पूरी हुई हैं भला, ये मनमानियाँ तो खुदा की होती हैं, होने दो.
दिल ही तो है, क्या समझाना इसको, ज़िद करता है, करने दो, खुद-ब-खुद समझ जाएगा.
पुरानी किताब से सरक कर गिरा पैरो में ख़त उसका. सोचा फैंक दू,
पर पढ़ के मेजपोश के नीचे रख दिया फिर कभी ना पढ़ने को.
दिल ही तो है, क्या समझाना इसको, ज़िद करता है, करने दो, खुद-ब-खुद समझ जाएगा.
गुमे बंद लिफाफे सी ज़िंदगी, कभी तो पहुँचती के जहाँ का पता था लिखा, अब कौन उसे समझाता कि वो पता ही बदल गया.
दिल ही तो है, क्या समझाना इसको, ज़िद करता है, करने दो, खुद-ब-खुद समझ जाएगा.
बादल का छोटा टुकड़ा जो देखा आसमान मे उड़ता हुआ, सारी रात जगा बरसात देखने को.
दिल ही तो है, क्या समझाना इसको, ज़िद करता है, करने दो, खुद-ब-खुद समझ जाएगा.
अच्छा हुआ आँख फडकी, तूफान के आने का अंदेशा पहले ही हुआ. एक आख़िरी बार दिल संभाला, जो फिर चूर हो के बिखर गया.
दिल ही तो है, क्या समझाना इसको, ज़िद करता है, करने दो, खुद-ब-खुद समझ जाएगा.
उसकी परेशानियो का इलाज तो हकीम लुक़मान के पास भी नही, तू नाहक इस दिल को दोष देता रहा.
दिल ही तो है, क्या समझाना इसको, ज़िद करता है, करने दो, खुद-ब-खुद समझ जाएगा.
(Photo credits: Own painting)
7 comments
Beautiful! But then I guess it is expected when someone's named Kavita ;)
ReplyDeleteNice painting.
So finally, I justified my name... Eh?
ReplyDeleteActually, I was surprised to be honest. And, yes, you do justify your name :)
ReplyDeleteIt is equally surprising to me.
DeleteAwesome Work Kavita...but pata hai kya, I always knew ki kabhi na kabhi, you will come up with something as good as this one!! Keep up the good work, and keep justifying your name... ;)
ReplyDeleteThanks nancy, As I believe its better late then never, seems my first attempt turned out to be a good one. :)
DeleteWow, is it your :o or some one else. I fainted, started dreaming of "i dont know what". Just clear picture of a lover who lost his beloved. The Hakim Luqman, once i habitual to read his stories, i luved all very much, Thanks again get him remember again.
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